'खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले, खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है' आपने ये शेर कभी ना कभी तो सुना ही होगा। इस शेर को सच साबित किया है नागपुर के सैयद रियाज अहमद नाम के युवक ने जिसने यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीएससी) में 261वीं रैंक हासिल कर के आईएएस बना। सैयद की सफलता की कहानी किसी और के लिए प्रेरणा बन सकती है, लगातार मिलती असफलताओं के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने सपने को पूरा किया।
सैयद रियाज अहमद एक गरीब परिवार से आते हैं जहां बच्चे को पढ़ने की उम्र में ही घर का खर्च चलाने की जिम्मेदारी दे दी जाती है। सैयद के पिता तीसरी कक्षा तक और उनकी माता ने सांतवीं कक्षा तक ही पढ़ाई की है। मुश्किलों के बाद भी सैयद ने हार नहीं मानी और अपनी कड़ी मेहनत से 261वीं रैंक अपने नाम की। वह एकबार 12वीं में फेल हो गए थे जिसके बाद उन्हें काफी अपमान सहना पड़ा था।तभी उन्होंने ठान लिया था कि चाहे जो कुछ भी हो वो लड़ेंगे अपने सपने के खातिर ।
12वीं कक्षा में फेल होने के बाद सैयद टूट चुके थे उन्होंने एकबार फिर कड़ी मेहनत की और औसत अंक हासिल किया। यहां से सैयद ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और पॉलिटिक्स विषय के साथ कॉलेज में दाखिला लिया। सैयद बताते हैं कि, आईएएस की तैयारी के लिए 2013 में वह पूना चले गए और पढ़ाई शुरू कर दी। वर्ष 2014 में वह आईएएस के पहले ही अटेंप्ट यानी की पहली परीक्षा में ही बाहर हो गए।
पहली कोशिश नाकाम रहने के बाद उन्होंने 2015 में प्रीलिम्स दिया और उसमें भी वह फेल हो गए। नेगेटिव मार्किंग के चलते उनके नंबर कम आए। इसके बाद उन्होंने अपनी स्ट्रेटजी बदली और नई शुरुआत की, सैयद बताते हैं कि वह अपने प्लान को 123 स्ट्रटजी के नाम से बुलाते हैं। इसमें उन्होंने अपने ज्ञान के अनुसार प्रश्नों को हल करना शुरू किया। वर्ष 2016 में उन्होंने प्री और मेंन्स तो निकाल लिया लेकिन इस बार उन्हें इंटरव्यू में निराशा हाथ लगी।
सैयद के पिता तब रिटायर हो गए थे और अब वह घर से मदद नहीं लेना चाहते थे। 2017 में उन्होंने फिर पेपर दिया लेकिन इस बार भी उन्हें निराशा हाथ लगी। अब उनके पिता ने भी कह दिया था कि छोड़ दो यह सपना सपना ही रह जाएगा, इस साल भी वह इंटरव्यू में ही रह गए थे। 5 अप्रैल 2018 वह दिन था जब सैयद की मेहनत का फल मिला और उन्होंने इसबार पूरे देश में 261वीं रैंक हासिल की। सैयद ने अपने पिता को फोन किया और भावुक होकर यह खुशखबरी सुनाई।
सैयद रियाज अहमद एक गरीब परिवार से आते हैं जहां बच्चे को पढ़ने की उम्र में ही घर का खर्च चलाने की जिम्मेदारी दे दी जाती है। सैयद के पिता तीसरी कक्षा तक और उनकी माता ने सांतवीं कक्षा तक ही पढ़ाई की है। मुश्किलों के बाद भी सैयद ने हार नहीं मानी और अपनी कड़ी मेहनत से 261वीं रैंक अपने नाम की। वह एकबार 12वीं में फेल हो गए थे जिसके बाद उन्हें काफी अपमान सहना पड़ा था।तभी उन्होंने ठान लिया था कि चाहे जो कुछ भी हो वो लड़ेंगे अपने सपने के खातिर ।
12वीं कक्षा में फेल होने के बाद सैयद टूट चुके थे उन्होंने एकबार फिर कड़ी मेहनत की और औसत अंक हासिल किया। यहां से सैयद ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और पॉलिटिक्स विषय के साथ कॉलेज में दाखिला लिया। सैयद बताते हैं कि, आईएएस की तैयारी के लिए 2013 में वह पूना चले गए और पढ़ाई शुरू कर दी। वर्ष 2014 में वह आईएएस के पहले ही अटेंप्ट यानी की पहली परीक्षा में ही बाहर हो गए।
पहली कोशिश नाकाम रहने के बाद उन्होंने 2015 में प्रीलिम्स दिया और उसमें भी वह फेल हो गए। नेगेटिव मार्किंग के चलते उनके नंबर कम आए। इसके बाद उन्होंने अपनी स्ट्रेटजी बदली और नई शुरुआत की, सैयद बताते हैं कि वह अपने प्लान को 123 स्ट्रटजी के नाम से बुलाते हैं। इसमें उन्होंने अपने ज्ञान के अनुसार प्रश्नों को हल करना शुरू किया। वर्ष 2016 में उन्होंने प्री और मेंन्स तो निकाल लिया लेकिन इस बार उन्हें इंटरव्यू में निराशा हाथ लगी।
सैयद के पिता तब रिटायर हो गए थे और अब वह घर से मदद नहीं लेना चाहते थे। 2017 में उन्होंने फिर पेपर दिया लेकिन इस बार भी उन्हें निराशा हाथ लगी। अब उनके पिता ने भी कह दिया था कि छोड़ दो यह सपना सपना ही रह जाएगा, इस साल भी वह इंटरव्यू में ही रह गए थे। 5 अप्रैल 2018 वह दिन था जब सैयद की मेहनत का फल मिला और उन्होंने इसबार पूरे देश में 261वीं रैंक हासिल की। सैयद ने अपने पिता को फोन किया और भावुक होकर यह खुशखबरी सुनाई।
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