Saturday, 20 June 2020

बस मरना नही है ।। Ravi Ranjan Yadav

हाँ समझ सकता हूँ तुम्हारी मनोस्थिति ।क्या गुजरती होगी तुमपर वो अनजान नही है ।मुझसे,बहुतो से,हर उस युवा से जो किसी न किसी competitive exam की तैयारी कर रहा है या जिसने कभी किया है ।

हर रोज सुबह सुबह जब तुम्हारे सामने "The Hindu" आता होगा तुम अपने कुर्सी को टेबल के तरफ सरकाकर ठानते होंगे कि साला आज तो समझ ही लेंगे इस बला को,फिर समझ नही आता होगा,लेकिन अपने current हालात को बदलने के लिए current affairs जरूरी है ये सोचकर तुम गाड़ लेते होंगे अपना सिर उस अखबार के उन पन्नों के बीच ,भले समझ आए या न आए । समझ सकता हूँ मैं ।

दिनभर कभी History, कभी polity, कभी Aptitute, तो कभी reasoning में दिन कैसे निकल जाता होगा तुम्हे पता भी नही चलता होगा ।एशिया और यूरोप को को सा पर्वत अलग करती है ये तो समझ आ गया होगा लेकिन साला ये समझ नही आया होगा कि इन पड़ोसियों को ,रिश्तेदारों को क्या जवाब दें जो चले आते है मुह उठाए ये बताने को की को को सफल हो गया । वो ये बताने के लिए नही आते,तुम्हे जताने के लिए आते है कि तुम न looser हो,कोई औकात नही तुम्हारी ।
अब तुम्हे international relation समझ मे आने लगा होगा लेकिन तुम अपने रिश्तेदारों से जो relation है वो समझ नही आ रहा होगा । नहीं जाते होंगे न तुम अब शादियों में,रिश्तेदारों के घर ।ऐसा नही है कि तुम्हे पसंद नही था तुम्हे जाना,कभी उन महफ़िलो की जान हुआ करते थे तुम ।उस समय लोगो को लगता था कि फुम अच्छा करोगे जीवन मे,अब वो तुम्हे हारा हुआ मान चुके होंगे ।इससे कुछ न हो पाएगा अब उनके दिमाग मे छप चुका होगा अब ।मैं जानता हूँ खुद्दार हो तुम,अपने आत्म सम्मान की अर्थियां निकलते देख कैसे सकते हो ।इसलिए छोड़ दिया होगा न अब शादियों में जाना,लोगों से मिलना।अब तो तुम्हे दर लगने लगा होगा दोस्तों के बीच जाने से भी,जिनकी औकात नही थी तुमसे बात करने की वो भी अपनी सफलता की डींग हांकते होंगे ।समझ सकता हूँ मैं ।

लेकिन मेरे भाई, तुमने कहा शुरू में तुम विनर थे ।एक winner ऐसे घुटने टेक दे,जीवन के जंग में तो काहे का विनर बे ।winner वो नही जो हर जंग जीतता जाए,विनर वो है जो जिन्दगी के हर दाव के आगे आए,भीड़े, और अगर चकनाचूर होकर फिर गिर जाए तो फिर भी लहूलुहान होकर भी बोले,"मैं खेलेगा

Target तो करते ही हैं सब लोग,करेंगे भी असली winner वो है जो लोगों को नजरअंदाज करके अपने काम मे लगा रहे ।सफलता मिल जाए जीवन मे तो तालियां तो बजेंगी ही उसके लिए,न भी मिले तो इतनी सिद्दत से निभाए वो अपना किरदार की पर्दा गिरने के बाद लोगों के आंखों में आंसू हो और उन्हें बोलना पड़े की ,भले जो भी मिला इस बंदे को,सच्चाई और इम्मानदारी पर चलकर अपने काम को पागलों की तरह करता रह गया ।

मेरे भाई तुमने preparation करते समय नेपोलियन,बिस्मार्क और न जाने कितनों के बारे में पढ़ा होगा जिन्होंने साधारण जीवन को असाधारण में बदल दिया ।कितने ऐसे IAS से मिले होंगे न जिन्होंने सब त्याग दिया था, कितने लोगों के बारे में जानी होगी न जिन्होंने कुर्बान कर दी अपनी जीवन ..एक मकसद के लिए ।तो क्या उन्होंने आत्महत्या किया ?
नही मेरे दोस्त ।
क्या वो अब failure हैं?
नही अब वो किसी दूसरे field में फोड़ रहे हैं ।तुम भी फोड़ते ...अगर जिंदा रहते तो...जिंदा रहना था तुम्हे ।।

©️Ravi Ranjan Yadav

1 comment:

  1. Yes sir padhosi Or rishtedar phle bhi bolte the Or sucide kr li tb bhi bolenge ho ske to apni alag hi story bna ke bolenge bt bolna ni chodenge so it's better ki give them no chance

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