Hello Everyone !
परीक्षाएं चल रही होगी न आपकी । कुछ लोगों की खत्म भी हो चुकी होगी । कुछ लोग बीच बीच मे होंगे । कुछ लोग इंतज़ार कर रहे होंगे कि बस ये वाला निकल जाए, फिर तो कोई टेंशन ही नही ।।
तो ......कैसे हो? नींद आ रही है या किताबों को ही तकिया बना लिया है? दिन के 8 बजे उठने वाले भी बिना ममम्मी के ताने सुने सुबह 5 बजे उठ जा रहे होंगे । अभी ऐसा लग रहा होगा कि काश ऐसे ही साल भर पढ़ा होता तो फोड़ ही दिया होता ।। मम्मी ने काजू-बादाम, नमकीन का डिब्बा पढ़ाई के टेबल के पास ही रख दिया होगा. खाना भी कमरे तक पहुंचता होगा, ताकी एक भी मिनट बर्बाद न हो. टेबल पर रखा बोतल का पानी बार बार चेंज हो रहा होगा ।।
शर्मा जी के बेटे को देख हमेशा टॉप करता है... मिश्रा जी की बेटी 15 घंटे पढ़ती है... वो सिंह साहब के बेटे ने 95%लाए थे । वो चाचा जी के बेट IIT में है । वो तिवारी जी ई बेटी बहुत ही ज्यादा मेहनती थी ,एक ही बार मे मेडिकल निकल लिया....ऐसे वाक्य सुन-सुन कर कान पक गए होंगे पर उन सब की बराबरी या उनसे आगे निकलने की होड़ में आप दिन-रात लगे हुए होगे.
पेपर अभी चल ही रहे हैं पर रिज़ल्ट की टेंशन आपको अभी से सता रही है. एक-एक परीक्षा किसी युद्ध से कम नहीं लग रही है, रिज़ल्ट फिर इंजीनियरिंग/मेडिकल में एडमिशन की टेंशन खाए जा रही होगी? परिक्षाएं ख़त्म नहीं हुई पर भविष्य के बारे में सोच-सोचकर ही दिल बैठा जा रहा होगा. 10वी के अगर आप होंगे तो एडमिशन की चिंता ।। "अच्छा नंबर आया तो रांची, पटना दिल्ली, कोटा,हैदराबाद भेज देंगे नही तो पढ़ना यही सरकारी स्कूल में " वाला डायलाग पापा कई बार सुना चुके होंगे। मनपसंद कॉलेज में दाख़िले को लेकर चिंताओं ने घेर रखा होगा.सबको होता भीहै ।12थ वालों को ये भी लग रहा होगा कि अगर ड्रॉप लेना पड़ा तो?
न्यूज़ में पढ़ा कि Physics की परीक्षा में कुछ प्रश्न छूट जाने के कारण एक छात्र ने आत्महत्या कर ली है, अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ. परिक्षा में फ़ेल होने का डर इतना ज़्यादा कि ज़िन्दगी ख़त्म कर दी? समझ ही नहीं आया कि आंखों के सामने से ये कैसी ख़बर गुज़री है.
मैं उस छात्र को कुसूरवार नहीं ठहरा रहा, वो जिस भावना से गुज़रा होगा वो मैं या कोई और कभी नहीं समझ सकता. पर सवाल उठता है कि हमने परीक्षा को इतना बड़ा बना दिया है कि ज़िन्दगी उसके सामने छोटी लगने लगी है.
छात्रों, न ही ये परीक्षा दुनिया की पहली परीक्षा है और न ही आख़िरी. अगर इसमें पास नहीं भी हुए, नंबर कम ही आए तो इसका मतलब कहीं से भी ये नहीं है कि आप ज़िन्दगी की परीक्षा में फ़ेल हो गए. न ही ये आख़िरी मौका था आपकी जीत का.
तो इतनी टेंशन किस बात की? मम्मी के रोने की या पापा की डांट की? मम्मी-पापा ताना मारते हैं, हाथ उठाते हैं, आपको दूसरे बच्चों से कंपेयर करते हैं पर ये बात मत भूलिए कि आपको तकलीफ़ में वो कभी नहीं देख सकते.
रिज़ल्ट जो भी आएगा, आएगा पर याद रखना ये आख़िरी मौका नहीं है जो ज़िन्दगी फ़ालतू लगने लगे. और ध्यान रखिए कि दो पेज की उस कागज़ की इतनी औकात नही की आपके भविष्य का निर्धारण कर सके । हाँ temporary basis पर कुछ दिन के लिए थोड़ा disturb कर सकता है,लेकिन permanently वो future decide कर दे, औकात नही ।जब सेकंड डिवीज़न करने वाले लोगों को, हिंदी मध्यम से पढ़े, सरकारी स्कूल से पढ़े लोगों को IAS बनते देखता हूं, और हज़ारो 80%से ऊपर वालों को beat करते देखता हूँ तो मेरा ये विचार और भी मजबूत हो जाता है ।।
तो कोई फालतू फण्ड की चिंता नहीं । बस best देना है exam hall में । देखेंगे क्या होगा ।और हां शर्मा जी का बेटा IIT में है तो क्या हुआ ??हो सकता है आपका result आज खराब हो जाए, आप IIT में न जा पाए और हाथ पांव मारते मारते एक कंपनी बना डाले, जिसमे शर्मा जी का बेटा काम करे ।
संभव है।।
बिल्कुल संभव है ।।
लगे रहिए।
मिलते है फिर...!!
आपका- रवि रंजन यादव
परीक्षाएं चल रही होगी न आपकी । कुछ लोगों की खत्म भी हो चुकी होगी । कुछ लोग बीच बीच मे होंगे । कुछ लोग इंतज़ार कर रहे होंगे कि बस ये वाला निकल जाए, फिर तो कोई टेंशन ही नही ।।
तो ......कैसे हो? नींद आ रही है या किताबों को ही तकिया बना लिया है? दिन के 8 बजे उठने वाले भी बिना ममम्मी के ताने सुने सुबह 5 बजे उठ जा रहे होंगे । अभी ऐसा लग रहा होगा कि काश ऐसे ही साल भर पढ़ा होता तो फोड़ ही दिया होता ।। मम्मी ने काजू-बादाम, नमकीन का डिब्बा पढ़ाई के टेबल के पास ही रख दिया होगा. खाना भी कमरे तक पहुंचता होगा, ताकी एक भी मिनट बर्बाद न हो. टेबल पर रखा बोतल का पानी बार बार चेंज हो रहा होगा ।।
शर्मा जी के बेटे को देख हमेशा टॉप करता है... मिश्रा जी की बेटी 15 घंटे पढ़ती है... वो सिंह साहब के बेटे ने 95%लाए थे । वो चाचा जी के बेट IIT में है । वो तिवारी जी ई बेटी बहुत ही ज्यादा मेहनती थी ,एक ही बार मे मेडिकल निकल लिया....ऐसे वाक्य सुन-सुन कर कान पक गए होंगे पर उन सब की बराबरी या उनसे आगे निकलने की होड़ में आप दिन-रात लगे हुए होगे.
पेपर अभी चल ही रहे हैं पर रिज़ल्ट की टेंशन आपको अभी से सता रही है. एक-एक परीक्षा किसी युद्ध से कम नहीं लग रही है, रिज़ल्ट फिर इंजीनियरिंग/मेडिकल में एडमिशन की टेंशन खाए जा रही होगी? परिक्षाएं ख़त्म नहीं हुई पर भविष्य के बारे में सोच-सोचकर ही दिल बैठा जा रहा होगा. 10वी के अगर आप होंगे तो एडमिशन की चिंता ।। "अच्छा नंबर आया तो रांची, पटना दिल्ली, कोटा,हैदराबाद भेज देंगे नही तो पढ़ना यही सरकारी स्कूल में " वाला डायलाग पापा कई बार सुना चुके होंगे। मनपसंद कॉलेज में दाख़िले को लेकर चिंताओं ने घेर रखा होगा.सबको होता भीहै ।12थ वालों को ये भी लग रहा होगा कि अगर ड्रॉप लेना पड़ा तो?
न्यूज़ में पढ़ा कि Physics की परीक्षा में कुछ प्रश्न छूट जाने के कारण एक छात्र ने आत्महत्या कर ली है, अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ. परिक्षा में फ़ेल होने का डर इतना ज़्यादा कि ज़िन्दगी ख़त्म कर दी? समझ ही नहीं आया कि आंखों के सामने से ये कैसी ख़बर गुज़री है.
मैं उस छात्र को कुसूरवार नहीं ठहरा रहा, वो जिस भावना से गुज़रा होगा वो मैं या कोई और कभी नहीं समझ सकता. पर सवाल उठता है कि हमने परीक्षा को इतना बड़ा बना दिया है कि ज़िन्दगी उसके सामने छोटी लगने लगी है.
छात्रों, न ही ये परीक्षा दुनिया की पहली परीक्षा है और न ही आख़िरी. अगर इसमें पास नहीं भी हुए, नंबर कम ही आए तो इसका मतलब कहीं से भी ये नहीं है कि आप ज़िन्दगी की परीक्षा में फ़ेल हो गए. न ही ये आख़िरी मौका था आपकी जीत का.
तो इतनी टेंशन किस बात की? मम्मी के रोने की या पापा की डांट की? मम्मी-पापा ताना मारते हैं, हाथ उठाते हैं, आपको दूसरे बच्चों से कंपेयर करते हैं पर ये बात मत भूलिए कि आपको तकलीफ़ में वो कभी नहीं देख सकते.
रिज़ल्ट जो भी आएगा, आएगा पर याद रखना ये आख़िरी मौका नहीं है जो ज़िन्दगी फ़ालतू लगने लगे. और ध्यान रखिए कि दो पेज की उस कागज़ की इतनी औकात नही की आपके भविष्य का निर्धारण कर सके । हाँ temporary basis पर कुछ दिन के लिए थोड़ा disturb कर सकता है,लेकिन permanently वो future decide कर दे, औकात नही ।जब सेकंड डिवीज़न करने वाले लोगों को, हिंदी मध्यम से पढ़े, सरकारी स्कूल से पढ़े लोगों को IAS बनते देखता हूं, और हज़ारो 80%से ऊपर वालों को beat करते देखता हूँ तो मेरा ये विचार और भी मजबूत हो जाता है ।।
तो कोई फालतू फण्ड की चिंता नहीं । बस best देना है exam hall में । देखेंगे क्या होगा ।और हां शर्मा जी का बेटा IIT में है तो क्या हुआ ??हो सकता है आपका result आज खराब हो जाए, आप IIT में न जा पाए और हाथ पांव मारते मारते एक कंपनी बना डाले, जिसमे शर्मा जी का बेटा काम करे ।
संभव है।।
बिल्कुल संभव है ।।
लगे रहिए।
मिलते है फिर...!!
आपका- रवि रंजन यादव
Respected Sir,
ReplyDeleteYou are my ideal. I have always followed you and will follow always. I just want to be like you. Your everything is just superb.Frankly speaking, you are the best.Keep writing these things. I love your writings.
Unbelievable bhaiya.
ReplyDeleteGreat job.
Well done 👏👏...
The fan of your ideology and the personality
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