Thursday, 17 March 2022

एक बेरोजगार की होली by Er Ravi R Yadav


 वो बेरोजगार है!UPSC,SSC, Railway की तैयारी करता है! पटना में, दिल्ली में,allahabad में, रांची में! जगह भले ही अलग हों,उसके हालात same हैं! वह बैठा है एक घूप अंधेरे कमरे में, जहाँ सही से  सूरज की रौशनी नहीं पहुँचती! रंग कहाँ से पहुुंचेगा?उसकी होली नही होती अब! ध्यान भी नही है उसे कि कब उसने उमंग में होली खेला था! मध्यमवर्गीय परिवारों में बच्चे उम्र से नहीं हालातों से mature हो जाते हैं या यूं कहे होना पड़ता है! 10 वीं 12 वीं से ही अच्छे जीवन के लिए बाहर पढ़ने निकल पड़ा! उस समय समय नहीं मिला! अब   उसका मन नहीं रहा! बेरोजगार जो है! 


लेकिन एक बात कहूँ, झूठ बोलता है वह, कि होली नही खेलता! हर रोज़ होती है उसकी होली! तरह तरह के लोग आते हैं उसे रंग लगाने! कुछ अपने, कुछ दूर के, कुछ तो वैसे जिसे वह जानता भी नहीं! जो भी आता है कोई न कोई रंग लगा जाता है! कोई तानों का रंग, कोई मजाक का! कोई इग्नोर करके अलग रंग दे जाता है! कोई underestimate करके कुछ अलग!! दिन भर अंधेरे कमरे में बैठ आँसू रूपी पानी से उन रंगों को छुड़ाने का असफल प्रयास करते रहता है वह! 

फिर कुर्सी खिचकर बैठ जाता है टेबल के सामने! पता है उसे! ये रंग ऐसे नही छूटेंगे! ये रंग आँसू से हटने वाले नहीं, पसीना लगेगा यहाँ, मेहनत लगेगी यहाँ! रंग लगाने वालों के मुँह पा सफलता फेंक कर मारनी होगी! उन्हें बताना होगा कि भाई साहब सामने वाला हारने के लिए पैदा नही हुआ है, मकसद बड़ा था तो समय लगा! 


उसके फोन पर Happy Holi के मेसेजस् आ रहे हैं! उसने इग्नोर कर दिया है ! जम गया है फिर से टेबल पर! पता है उसे, इस खूबसूरत त्योहार को अगर मनाना है तो उसे इन कमरों से निकालना पड़ेगा! तब होगी उसकी सच्ची वाली होली!! 



वैसे आपको हैप्पी होली! आप की होली प्यार वाली हो, सद्भावना वाली हो! किसी के जीवन में खुशीयों का रंग, सफलता का रंग आपके वजह से भर जाए! और भगवान करे, इसकी शुरुआत आप से ही हो ❤🙏

2 comments: