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05 जून है आज ।विश्व पर्यावरण दिवस । संयुक्त राष्ट्र संघ ने 5 जून 1972 को विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की नींव स्वीडन के स्टॉकहोम से रखी तब से लगातार हर वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है ।इस बार की थीम है "प्रकृति के लिए समय ।"
और इस बार का जो पर्यावरण दिवस है वो खास है । बहुत खास ।और बहुत बेहतर । अब इसमें क्या बेहतर है? दुनिया घरों में कैद है? रोजी रोटी पर आफत पड़ी है लोगों की तो क्या बेहतर? मैंने कहा, पर्यावरण के लिए बेहतर,प्रकृति के लिए बेहतर ,सृष्टि के लिए बेहतर , भले हम मनुष्यों के लिए हो न हो ।
ये ऐसा पर्यावरण दिवस है जब प्रकृति ने हमे खुद को refresh करके वापस लौटाया है । हवा,जल,नभ सबकुछ साफ है ।उतना साफ,जितना हम कभी चाह कर भी नही कर पाते । योजना पर योजना चला ले,पानी की तरह पैसे बहा ले, प्रकृति को इस mode में तो हम कतई नही ला सकते थे । तो हुआ न खास ।
अब पर्यावरण अपने स्वक्षतम स्तर पर है ।इससे साफ ,इससे बेहतर पर्यावरण हमे अब इस युग मे नसीब नही होने वाला । हमारा अब ये दायित्व हो जाता है कि इसे संभाले जितना हो सके,हमारा ये कर्तव्य बन जाता है कि अगर बेहतर न कर सके टी काम से कम इतना साफ जरूर रखे ।
अभी सरकार के लिए भी step लेने का शानदार समय है । जितना पैसा हमने बहाया है पर्यावरण के ऊपर,सही मैनेजमेंट हो तो बड़ी काम पैसे में चीज़ों को maintain किया जा सकता है ।घरों में एक पेड़ लगाना अनिवार्य कर दिया जाए,किसी आफिस में पेड़ो की संख्या निश्चित हो,विद्यालयों में भी । CSR के तहत सभी संस्थान प्रकृति के लिए कुछ न कुछ करे ।अगर कुछ प्रकृति संबंधी कानून बना दिया जाए तो बेहतर । प्रकृति के लिए काम करने वालों संस्थानों को कुछ छूट दिया जाए,इस तरह से बिल्कुल पर्यावरण संरक्षण किया जा सकेगा । और हमारी भूमिका तो सबसे महत्वपूर्ण ही होगी, हम अपने लेवल में जो कर सकते है, पवित्र भावना के साथ बिल्कुल करे । और अगर अभी भी नही सुधरे, तो प्रकृति कोई और तरकीब निकलेगी खुद की reset करने का, जो शायद हमारे लिए ठीक नही होगा ।।
05 जून है आज ।विश्व पर्यावरण दिवस । संयुक्त राष्ट्र संघ ने 5 जून 1972 को विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की नींव स्वीडन के स्टॉकहोम से रखी तब से लगातार हर वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है ।इस बार की थीम है "प्रकृति के लिए समय ।"
और इस बार का जो पर्यावरण दिवस है वो खास है । बहुत खास ।और बहुत बेहतर । अब इसमें क्या बेहतर है? दुनिया घरों में कैद है? रोजी रोटी पर आफत पड़ी है लोगों की तो क्या बेहतर? मैंने कहा, पर्यावरण के लिए बेहतर,प्रकृति के लिए बेहतर ,सृष्टि के लिए बेहतर , भले हम मनुष्यों के लिए हो न हो ।
ये ऐसा पर्यावरण दिवस है जब प्रकृति ने हमे खुद को refresh करके वापस लौटाया है । हवा,जल,नभ सबकुछ साफ है ।उतना साफ,जितना हम कभी चाह कर भी नही कर पाते । योजना पर योजना चला ले,पानी की तरह पैसे बहा ले, प्रकृति को इस mode में तो हम कतई नही ला सकते थे । तो हुआ न खास ।
अब पर्यावरण अपने स्वक्षतम स्तर पर है ।इससे साफ ,इससे बेहतर पर्यावरण हमे अब इस युग मे नसीब नही होने वाला । हमारा अब ये दायित्व हो जाता है कि इसे संभाले जितना हो सके,हमारा ये कर्तव्य बन जाता है कि अगर बेहतर न कर सके टी काम से कम इतना साफ जरूर रखे ।
अभी सरकार के लिए भी step लेने का शानदार समय है । जितना पैसा हमने बहाया है पर्यावरण के ऊपर,सही मैनेजमेंट हो तो बड़ी काम पैसे में चीज़ों को maintain किया जा सकता है ।घरों में एक पेड़ लगाना अनिवार्य कर दिया जाए,किसी आफिस में पेड़ो की संख्या निश्चित हो,विद्यालयों में भी । CSR के तहत सभी संस्थान प्रकृति के लिए कुछ न कुछ करे ।अगर कुछ प्रकृति संबंधी कानून बना दिया जाए तो बेहतर । प्रकृति के लिए काम करने वालों संस्थानों को कुछ छूट दिया जाए,इस तरह से बिल्कुल पर्यावरण संरक्षण किया जा सकेगा । और हमारी भूमिका तो सबसे महत्वपूर्ण ही होगी, हम अपने लेवल में जो कर सकते है, पवित्र भावना के साथ बिल्कुल करे । और अगर अभी भी नही सुधरे, तो प्रकृति कोई और तरकीब निकलेगी खुद की reset करने का, जो शायद हमारे लिए ठीक नही होगा ।।
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